शुभम का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाली लड़की “साक्षी” के साथ
था| साक्षी अमीर घराने की लड़की थी, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और
दिखने में बला की खूबसूरत थी| साक्षी के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम
था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|
शुभम मन ही मन साक्षी को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था| शुभम के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से शुभम कभी प्यार का इजहार नहीं करता था|
चलो इस प्यार के बहाने शुभम की एक गन्दी आदत सुधर गयी| शुभम आये दिन
स्कूल ना जाने के नए नए बहाने बनाता था लेकिन आज कल टाइम से तैयार होके
चुपचाप स्कूल चला आता था| माँ बाप सोचते बच्चा सुधर गया है लेकिन बेटे का
दिल तो कहीं और अटक चुका था|
समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन शुभम की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही साक्षी को देखा करता था| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. शुभम दिल की बात ना कह पाया|
आज स्कूल का अंतिम दिन था| शुभम मन ही मन उदास था कि शायद अब साक्षी को शायद ही देख पायेगा क्यूंकि शुभम के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटे को बड़े शहर में पढ़ाने भेजें|
स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे,
अपनी यादें शेयर कर रहे थे| साक्षी भी अपनी फ्रेंड्स के साथ काफी खुश थी
आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन शुभम की आँखों में आंसू
थे|
शुभम चुपचाप क्लास में गया और साक्षी के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर साक्षी की प्यारी सी फोटो थी| शुभम ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करूंगा|
समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, शुभम ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी साक्षी।। लाख कोशिशों के बाद भी शुभम फिर कभी साक्षी से मिल नहीं पाया था|
घर वालों ने शुभम की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी साक्षी ही था| शुभम जब भी अपनी पत्नी को साक्षी नाम से पुकारता उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पत्नी को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी साक्षी से सच्चा प्यार करता था|
एक दिन शुभम कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे साक्षी का वो बचपन का Identity Card मिल गया| उसपर छपे साक्षी के प्यारे से चेहरे को देखकर शुभम भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली|
पत्नी – यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ
Love Story – शुभम और साक्षी का अनोखा प्यार
शुभम – अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी
पत्नी – अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा “सरस्वती कान्वेंट स्कूल” यहीं तो पढ़ती थी मैं
शुभम यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया – क्या है तुम्हारी फोटो है ? मैं इस लड़की से बचपन से बहुत प्यार करता हूँ
साक्षी ने अब शुभम को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ साक्षी की कई बचपन की फोटो लगीं थीं| शुभम की पत्नी वास्तव में वही साक्षी थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था|
साक्षी ने शुभम के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था|
शुभम बार बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था!!
शुभम मन ही मन साक्षी को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था| शुभम के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से शुभम कभी प्यार का इजहार नहीं करता था|
समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन शुभम की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही साक्षी को देखा करता था| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. शुभम दिल की बात ना कह पाया|
Hindi Love Story – चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी
समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|आज स्कूल का अंतिम दिन था| शुभम मन ही मन उदास था कि शायद अब साक्षी को शायद ही देख पायेगा क्यूंकि शुभम के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटे को बड़े शहर में पढ़ाने भेजें|
शुभम चुपचाप क्लास में गया और साक्षी के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर साक्षी की प्यारी सी फोटो थी| शुभम ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करूंगा|
Love story in Sad Phase – शुभम अब हमेशा के लिए साक्षी से जुदा हो चुका था
बैंक से लोन लेकर पिताजी ने शुभम को बाहर पढ़ने भेज दिया| साक्षी के पिता ने भी किसी दूसरे शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| शुभम अब हमेशा के लिए साक्षी से जुदा हो चुका था|समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, शुभम ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी साक्षी।। लाख कोशिशों के बाद भी शुभम फिर कभी साक्षी से मिल नहीं पाया था|
घर वालों ने शुभम की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी साक्षी ही था| शुभम जब भी अपनी पत्नी को साक्षी नाम से पुकारता उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पत्नी को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी साक्षी से सच्चा प्यार करता था|
एक दिन शुभम कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे साक्षी का वो बचपन का Identity Card मिल गया| उसपर छपे साक्षी के प्यारे से चेहरे को देखकर शुभम भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली|
पत्नी – यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ
Love Story – शुभम और साक्षी का अनोखा प्यार
शुभम – अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी
पत्नी – अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा “सरस्वती कान्वेंट स्कूल” यहीं तो पढ़ती थी मैं
शुभम यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया – क्या है तुम्हारी फोटो है ? मैं इस लड़की से बचपन से बहुत प्यार करता हूँ
साक्षी ने अब शुभम को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ साक्षी की कई बचपन की फोटो लगीं थीं| शुभम की पत्नी वास्तव में वही साक्षी थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था|
साक्षी ने शुभम के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था|
शुभम बार बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था!!