Real Love Story : Love Vs Money – पैसा प्यार पर हर बार भारी पड़ता है ?

“हेल्लो नैतिक कैसे हो? और यहाँ क्या कर रहे हो?”
मै होटल में बैठा किसी का wait कर रहा था. तभी किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में गूंजी. मैंने उसे देखा तो अपने आखो पर विश्वास नहीं हुआ. एक अरसा गुजर गया उसको याद करके. जिसके चलते मैं यहाँ तक पहुंचा वह मुझे आज मिली. जिसने मुझे छोड़ा था मेरे हालत पर आज मुझे इस होटल में देख उसको मुस्कराहट आ गई.

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“बस ऐसे ही किसी का wait कर रहा हूँ. और तुम बताओ कैसी हो?” मैंने उसे बैठने को बोलते हुए कहा.
“सब मजे में है. पता है मैंने तो एक बहुत अमीर लड़के से शादी कर लिया. 2 लाख तो उसके मंथली इनकम है. फ़्लैट, कार सब कुछ मिला है.” उसके चेहरे पर एक हँसी थी. मुझको नीचा दिखने की. मेरे सारे हालत मेरे आँखों के सामने नाचने लगा.
“और पता है वो अपने बॉस से मिलने वाले है. मैं भी उसके साथ आ गई.”
मै चुपचाप बैठा रहा. उसे देखा और अपने यादों में खोया था. एक ऐसा याद जिसमे दर्द-ही-दर्द. गरीबी का, बिछड़ने का, दुसरो के तानो का. हर तरफ से टुटा और भगाया हुआ इन्सान. कभी किसी ने अपने लिए काबिल नहीं समझा मेरी गरीबी के कारण. उसके टिस आज भी खून में जहर के सामान दौड रहा है. “प्यार बड़ा या पैसा”. आज भी भी मेरे दिमाग में यह बात घूमता है. अगर पैसा बड़ा तो एक माँ अपने बच्चो को क्यों नहीं छोड़ देती. वह क्यों उसे हर हालत, हर परिस्थिति में अपने पास रखती है सिने से लगाकर. न टूटने वाली, न छूटने वाली मोहब्बत.

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“तुम किसका wait कर रहे हो? ये तो बहुत बड़ा होटल है. कोई गर्लफ्रेंड है क्या बड़े घर की.” उसने मुस्काते हुए बोला “पता है मैंने तुमको छोड़ा तो अच्छा ही किया. नहीं तो इतने बड़ा होटल कहा नसीब होता. समय के साथ बदलना ही अच्छा होता है. तुम्हारे साथ होते तो अब तक वही पड़ी रहती किसी फूटपाथ पर. तुम्हारे पास तो बस rose देने के पैसे होते थे और मगर आज मैं कहाँ हूँ. बस तुम्हे छोड़ने से ही.”
मेरे होठो पर मुस्कान आ गई. उसके नादानी पर. जिनका प्यार भी गिरगिट के जैसा होता है. बदलने में देर नहीं लगता. जो भी मिले उसे से प्यार करने लगे उसके रंग में अपना रंग मिला लिया. और बेरंग कर दिया पहला रंग.
कुछ साल पहले दिव्या ने मेरा प्यार ठुकरा दिया. क्यों की मेरे हालत ऐसे नहीं थे की मै उसे बड़े होटले में ले जाऊ, उसे महंगे शोपिंग करा पाउँ. मगर ‘प्यार’ एक यही था मेरे पास उसके लिए. जो उसे नहीं चाहिए था. पैसे के आगे प्यार का कोई वैल्यू नहीं था. सच्चा प्यार नहीं. सच्चा पैसे वाला चाहिए था उसे.
“सॉरी सर आपको wait करना पड़ा. मैं जल्दी आ गया मगर बाहर कुछ लेट हो गया.”
मुकेश आ गया जिसका मैं कब से wait कर रहा था.

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“कोई बात नहीं. थोड़ा बहुत लेट हो जाता है.” मैंने उसे बैठने को कहा. लेट होने से वह जल्दी-जल्दी बोल रहा था.
दिव्या आश्चर्य से मुझे देख रही थी. जो अभी तक अपना बात बोले जा रही थी. वह चुपचाप हमारा बात सुन रही थी.
“सर ये मेरी वाइफ है दिव्या . कल से बोल रही थी मुझे भी चलना है तो मैं इसे भी लेते आया.”
मैंने दिव्या के तरफ देखकर मुस्करा भर दिया.
“और दिव्या यह हमारे सर है ‘नैतिक सर’ जिनका यह होटल है और पता है सर ने अभी तक शादी भी नहीं किया. किसी लड़की से सर बहुत प्यार करते थे मगर उस लड़की ने इनको गरीब होने से छोड़ दिया था. उसके बाद सर ने इतनी ज्यादा दौलत कमाया की लड़की ने सपने में सोचा नहीं होगा. कितनी मतलबी होगी न वह? ऐसी लड़की तो………..”
“ठिक है राकेश मैं चलता हूँ.” मैंने उसके बात को बिच में काटते हुए बोला. कैसे उसके बारे में कुछ सुन सकता था. उसे जो अच्छा लगा उसने किया. मगर मैं तो अभी भी उसके लिए था. प्यार तो उतना ही था. ये न तो मरता है ना ही खत्म होता. यह तो चलते रहा है.
मैं गेट से बहार निकलते हुए देखा, दिव्या भींगी आँखों से देख रही थी. पहला प्यार को भुला मुश्किल है

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