Yoga (योग) इंद्रियों के साथ-साथ मन को भी नियंत्रित करने की सर्वोत्तम प्रणाली है। योग व्यक्ति को मानसिक के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी स्वस्थ बनाता है। योग शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध भी करता है। योग से एनीमिया, एलर्जी, सर्दी, दमा और सांस की बीमारी भी दूर हो जाती है।
सांस की बीमारी आजकल आम हो गई है। योगाभ्यास से ऐसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। रोग निवारण अभ्यास को Kunjal Kriya (कुंजल क्रिया), Vashp Snan (वशप स्नान), Pank Snan (पंक स्नान), Jal Neti (जल नेति) आदि कहा जाता है। आइए आज हम जल नेति की प्रक्रिया और इसके फायदों के बारे में जानते हैं।
Jal Neti Kriya / जल नेति क्रिया
1. एक लीटर गर्म पानी में 10 ग्राम सिंधव नमक मिलाकर तैयार करें।
2. पैरों को एक दूसरे के समानांतर रखकर बैठ जाएं।
3. पानी की बोतल की नली को दाहिने नथुने में बायीं नासिका से नीचे की ओर रखें और मुंह से सांस लें।
4. सिर को आगे की ओर झुकाएं और बाएं नथुने से पानी को बाहर निकाल दें।
5. यह क्रिया बारी-बारी दोनों नासिका छिद्रों से करें।
Jal Neti Benefits / जल नेति क्रिया के लाभ
1. सर्दी, साइनस, खांसी, दमा, खांसी जैसे रोगों में लाभकारी।
2. नेत्र विकार, बालों की समस्या, सिरदर्द, खराब याददाश्त में सुधार करता है।
3. बदलते परिवेश की समस्या से बच्चों को राहत दिलाता है।
4. मोटापा, थायराइड, श्वास कष्ट में लाभकारी।
जल नेति के समय यह सावधानी बरतें
1. इस क्रिया को बैठकर, सीधे खड़े होकर या दोनों पैरों के बीच समान दूरी रखकर कर सकते हैं। बीच-बीच में आंखें बंद करना भी जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर आंखों में पानी आ सकता है।
2. मुंह से सांस लेना बहुत जरूरी है, नहीं तो छींक आ सकती है। नाक से सांस बिल्कुल न लें, नहीं तो पानी सिर तक जा सकता है। अगर पानी सिर में चढ़ता रहे तो बहुत मुश्किल हो सकती है।
3. नाक और सिर से संबंधित कोई रोग हो तो नाक को सुखाने के लिए जोर से सांस न छोड़ें। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे करें।
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Jal Neti Rules / जल नेति क्रिया के नियम
इस योग को किसी विशेषज्ञ से सीखकर ही करें। यह क्रिया सुबह के समय सबसे अच्छी होती है। इस अध्ययन को करते समय मन को शांत रखें और किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें।