शारदीय नवरात्रि की शरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इस दिन कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ नवदुर्गा की पूजा और नवरात्रि व्रत की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि आमतौर पर 9 या 10 दिन की होती है। ज्यादातर लोग नवरात्रि के पहले दिन और महाअष्टमी के दिन व्रत रखते हैं, जबकि व्रत 9 दिनों तक भी रख सकते है।
शारदीय नवरात्रि की दसवीं तिथि को विजयादशी के रूप में मनाई जाती है, उसी दिन को दशहरा भी कहा जाता है। इस नवरात्रि के दौरान पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा भी मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ समय क्या है?
पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर शनिवार की रात्रि से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 15 अक्टूबर रविवार की दोपहर को समाप्त होगी। उदयातिथि को देखते हुए 15 अक्टूबर रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे।
इस बार शारदीय नवरात्रि की दुर्गा महाअष्टमी 22 अक्टूबर रविवार को है। उस दिन महागौरी की पूजा के बाद कन्याओं का भी पूजन और हवन किया जाता है। 23 अक्टूबर सोमवार को महानवमी होती है।
24 अक्टूबर, मंगलवार को विजयादशमी मनाई जाती है। उस दिन पारण के साथ ही नवरात्रि का समापन होगा। दशहरा 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। देशभर में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाएंगे।
गुजरात में नवरात्रि के दौरान गरबा डांडिया भी खेला जाता है। विशेषकर रास, तीन ताली, नौ ताली, छकड़ी और टीटोडा बजाया जाता है। टीटोडा गुजरात के राजकोट और जामनगर में प्रसिद्ध है। हालाँकि, अब टीटोडा गुजरात में हर जगह खेला जाता है। इसलिए इस नवरात्रि हम खासतौर पर आपके लिए लेटेस्ट टिटोडा कलेक्शन लेकर आए हैं।
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नवरात्रि में मां दुर्गा की कलश स्थापना का भी महत्व है। कलश को हल्दी की गांठ, पान का पत्ता, दूर्वा, 5 प्रकार के पत्तों से सजाया जाता है। कलश के नीचे घास की वेदी बनाकर गेहूं उगाया जाता है। साथ ही दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी किया जाता है।