हमारे आयुर्वेद में हर पेड़ के कुछ न कुछ फायदे बताए गए हैं, हर बीमारी का इलाज आपके आसपास ही है। आयुर्वेद में भी Neem नीम को सर्वोत्तम माना गया है। आज से शुरू हो रहे चैत्र माह में नीम के फूल और पान का रस पीना शरीर के लिए अच्छा माना जाता है।
चैत्र मास का अर्थ है वसंत ऋतु का दूसरा भाग। वसंत ऋतु में बहती हुई धाराएँ, उपवन, वन सुन्दर लगते हैं। नीम को विभिन्न रोगों और समस्याओं के लिए एक उत्कृष्ट उपचार कहा जाता है, नीम के पत्ते, नीम के फूल, नीम की छाल, नीम की लकड़ी आदि का सेवन बहुत फायदेमंद है, टाइफाइड और साल भर के बुखार सहित कई बीमारियाँ दूर हो जाएंगी।
हमारे शास्त्रों में चैत्र माह में Neem Flower नीम के फूल और Neem leaf juice Benefits नीम की पत्तियों का रस पीने को कहा गया है। स्वस्थ व्यक्तियों को भी चैत्र मास में चैत्र सुद एकम् से नोम तक नौ दिनों तक प्रातः नारनाकोठ में यह रस पीना चाहिए।
इन नौ दिनों तक नीम के फूल और कुमला के पत्ते का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वर्ष भर बुखार नहीं। इसके अलावा इससे पूरे साल सांसों की दुर्गंध, माइग्रेन, डायबिटीज, पेट में कीड़े, अरुचि, एसिडिटी जैसी समस्याएं भी दूर रहती हैं।
नीम के जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और रोगाणुरोधी गुणों के कारण यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। आपके शास्त्रों में कहा गया है कि चैत्र माह में यदि नीम के फूलों को रात में पानी में भिगोकर सुबह सेवन किया जाए तो बारह महीनों तक कोई रोग नहीं होता।
यह तो सभी जानते हैं कि नीम मधुमेह के लिए एक बेहतरीन उपाय है लेकिन आप यह नहीं जानते होंगे कि नीम का उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे उल्टी, खांसी, पीलिया, गर्मी के बुखार और आंखों की बीमारियों के इलाज में भी बहुत प्रभावी है।
नीम के बड़े और हरे पत्ते पाचन के बाद कड़वे, आंखों के लिए फायदेमंद, सूजन को शांत करने वाले, कृमि, कफ और पित्त को दूर करने वाले होते हैं। उदासीनता और प्रदर को दूर करता है। इसके अलावा नीम की छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोग, बुखार को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। नीम में ऐसे रसायन होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने और बैक्टीरिया को मारने में उपयोगी होते हैं।
नीम की पत्तियों को 1 घंटे तक पानी में उबालकर ठंडा कर लें, इस पानी से चेहरा धोने से त्वचा साफ रहेगी और दाग-धब्बे भी दूर होंगे। बिच्छू, टिड्डा जैसे जहरीले कीड़ों के काटने पर नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर काटे हुए स्थान पर लगाने से राहत मिलती है और जहर शरीर के किसी अन्य हिस्से में फैलने से रोकता है।
अगर आपको किडनी में पथरी है तो नीम की पत्तियों को सुखाकर जला लें। तथा इसकी 2 ग्राम राख प्रतिदिन पानी के साथ पीने से पथरी घुलकर मूत्र मार्ग से निकल जायेगी। मलेरिया जैसा जहरीला बुखार होने पर नीम की छाल को पानी में उबालकर लेप बना लें और दिन में 3 बार दो बड़े चम्मच पिएं। इस उपाय से बुखार ठीक हो जाएगा और कमजोरी भी दूर हो जाएगी।
त्वचा रोग से पीड़ित लोग नीम के तेल का उपयोग कर सकते हैं और तेल में थोड़ा सा कपूर मिलाकर रोजाना मालिश करने से धीरे-धीरे त्वचा रोग से राहत मिल जाती है। नीम की पत्तियां चबाने से दांतों में पायरिया ठीक हो जाता है और नीम की पत्तियां चबाने से सांस संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं और मसूड़े तथा दांत मजबूत होते हैं।
नीम की छाल को पानी में मिलाकर मुहांसों पर रगड़ने से भी मुहांसों से राहत मिलती है और नीम की पत्तियों का लेप त्वचा पर लगाने से त्वचा के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। यदि बासी खाना खाया हो और उल्टी हो तो नीम का छिलका, अदरक और हरी मिर्च पीसकर खाने से तीन-चार दिन में पेट साफ हो जाएगा।
हफ्ते में दो बार नीम की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पीने से शरीर में होने वाली बीमारियों और इंफेक्शन से बचा जा सकता है और बीमारियों से दूर भी रहा जा सकता है। हरे या सूखे किसी भी प्रकार के एक्जिमा पर रोजाना नीम की पत्तियों का बारीक चूर्ण लगाएं। यदि एक्जिमा हरा हो तो पत्ते को कुचलकर एक्जिमा पर लगाएं और पट्टी बांध लें। इस प्रकार यह प्रयोग प्रतिदिन करने से एक्जिमा ठीक हो जाता है।