आने वाले दिनों में Petrol पेट्रोल और Diesel डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है।
सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा
हुआ तो पेट्रोल और डीजल की कीमत 20 रुपये प्रति लीटर तक कम हो सकती है। यानी
दिल्ली के हिसाब से इसकी कीमत 75 रुपये प्रति लीटर हो सकती है।
बीते शनिवार यानी 22 जून को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक हुई। यह मोदी 3.0 सरकार
की पहली जीएसटी परिषद की बैठक थी। कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। पेट्रोल और डीजल
पर जीएसटी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की हमेशा
से मंशा रही है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए और अब यह
राज्यों पर निर्भर है कि वे मिलकर इनके दाम तय करें।
पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी दर राज्यों को तय करनी होगी
वित्त मंत्री ने कहा, पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Petrol-Diesel in GST
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी एक्ट में शामिल करने का पहला प्रावधान किया था। अब
राज्यों को ही मिलकर चर्चा कर टैक्स रेट तय करना है। सीतारमण ने कहा, "पूर्व
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लाए गए जीएसटी का उद्देश्य पेट्रोल और डीजल को
जीएसटी के तहत लाना था। अब दरें तय करना राज्य पर निर्भर है। मेरा पहले का इरादा
बहुत स्पष्ट था, हम पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में चाहते हैं।
28 फीसदी जीएसटी लगने पर कितना सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल?
अहमदाबाद में पेट्रोल की कीमत फिलहाल 94.44 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल की
कीमत 90.11 रुपये है। फिलहाल केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल पर करीब 35 रुपये
का टैक्स लगाती हैं। मूल कीमत से घटाने पर पेट्रोल की कीमत 55.46 रुपये होगी। अगर
इस पर 28 फीसदी जीएसटी स्लैब लागू होता है तो 15.58 रुपये प्रति लीटर ज्यादा
चुकाने होंगे, साथ ही डीलर का कमीशन भी जोड़ा जाएगा और यह 75 रुपये प्रति लीटर
होने का अनुमान है।
इसी तरह डीजल पर 33.91 रुपये टैक्स लगता है और इसका बेस प्राइस करीब 56.20 रुपये
है। अगर इस पर 28 फीसदी जीएसटी लगाया जाए तो 15.73 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे। इस
तरह इसकी कुल कीमत करीब 72 रुपये हो सकती है।
राज्य सरकार को सहमत होना होगा
उन्होंने कहा, "यह पहले ही प्रदान किया जा चुका है कि इसे जीएसटी में शामिल किया
जा सकता है। एकमात्र निर्णय जो अपेक्षित है वह यह है कि राज्य सहमत होंगे और
जीएसटी परिषद में आएंगे और फिर तय करेंगे कि वे किस दर पर सहमत हैं।" सीतारमण ने
53वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "एक बार जब राज्य परिषद
में सहमत हो जाएंगे, तो उन्हें तय करना होगा कि दरें क्या होंगी। एक बार निर्णय
लेने के बाद, टैरिफ को कानून में डाल दिया जाएगा।"