Love Story उस शाम फिर बड़ी ही चालाकी से फिर से सोनू ने मेरा हाथ छुड़ाया
और बड़े रुबाब से फलों की उस दुकान में घुस गया, जहाँ कोई हर रोज़ बड़े प्यार
से उसे एक चॉकलेट देता था| ऐसा वह रोज़ करता था! हांलाकि मुझे फलों वाले
चाचा के अलावा वहां कभी कोई दिखा नहीं, लैकिन सोनू हमेशा उस लड़की के बारे
में बात करता जो उसे रोज़ एक चॉकलेट देती थी | खैर, बस आ गई थी और काफी देर
से बस स्टैंड पर इंतजार करते-करते मेरे पैर भी थक गए थे| मैंने सोनू को
आवाज़ लगाई! अन्दर से सोनू दौड़ता हुआ आया और हर रोज़ की तरह मुझे अपने अंदाज़
में चॉकलेट दिखाते हुए बस में चढ़ गया! हर बार उसके इस तरह से चॉकलेट दिखा
कर मुझे चिड़ाने पर में मुस्कुरा जाता और अनायास ही पीछे मुड कर फलों की उस
दुकान में किसी को खोजने की कोशिश करता लेकिन ना जाने क्यों हर रोज़ की तरह
फलों वाले चाचा के अलावा मुझे कोई वहां नज़र नहीं आता!
लगभग दो साल पहले का वो दिन जब सोनू में और मोनिका ख़ुशी ख़ुशी मोनिका के घर से आ रहे थे, कि अचानक एक तेज़ रफ़्तार वाला ट्रक हमारे सामने आ गया| मुझे कुछ समझ आता तब तक हमारी कार पलट कर रोड की दूसरी साइड पर चली गई थी| दो दिन बाद जब मुझे हॉस्पिटल में होंश आया तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि क्या हुआ| मेने माँ से मोनिका और सोनू के बारे में पूछा | उन्होंने बताया की सोनू पास वाले वार्ड में है और अब ठीक है|
और मोनिका
मेरे मोनिका के बारे में पूछने पर माँ फुट-फुट कर रोने लगी!
बताओ ना माँ, मोनिका कहाँ है (आंसुओं की बूंदों ने तब तक मेरी आँखों को भी घेर लिया था)
माँ तब कुछ भी नहीं बोल पाई!
मुझे मोनिका के साथ बिताए हर पल याद आ रहे थे,
अभी कल ही तो कह रही थी माँ ने नई सिल्क की साडी दी है…सालगिरह पर! और मेरे लिए कुछ नही दिया (मेने नाराजगी जताते हुए कहा था)
आपके लिए मुझे दिया हे न मेरे बुद्धू (मेरे गालों को खीचते हुए उसने बड़े प्यार से कहा था)
कितना बदनसीब हूँ में, आखरी बार मोनिका को देख भी नहीं पाया! (यह सोच कर में फुट-फुट कर रोने लगा था)
आंटी ने कहा है, पापा को भी खिलाना..(सोनू ने कहा)
में बस मुस्कुरा दिया!
आज जब घर आया तो माँ फिर मुह फुला कर बेठी थी|
अपने लिए ना सही पर कम से कम सोनू के लिए तो शादी कर लो| (माँ ने कहा)
सोनू को सम्हालने के लिए आप सब हो ना माँ, फिर दूसरी शादी की क्या ज़रूरत| (कहकर, मेने हमेशा की तरह बात को टाल दिया)
सोनू के लिए माँ की ज़रूरत मुझे भी लगती थी पर में हमेशा यही सोचता की क्या कोई और सोनू को उतना प्यार दे पाएगा|
खैर, माँ की बाते सुनते-सुनते हमने खाना खाया|
Love Story – शुभम और साक्षी का अनोखा प्यार
अगले दिन सोनू को स्कूल छोड़ कर जब में ऑफिस आया तो बारिश शुरू हो चुकी थी| आज दिन भर बारिश हुई और शाम तक लगभग पुरे बाज़ार में पानी भर गया था| ऑफिस बंद हो गया था लेकिन बारिश बंद होने का इंतजार करते-करते एक घंटा होने को आया था| पास की एक दुकान से मेने रेन कोट ख़रीदा और सोनू को लेने स्कूल की तरफ निकला| लेकिन रास्ते में पड़ने वाले, नाले की वजह से आगे जाने का रास्ता बिलकुल बंद था| मेने सोनू के स्कूल में फोन किया तो पता चला सारे बच्चे स्कूल से जा चुके हैं और सोनू भी उन्ही के साथ स्कूल से निकल गया|
कहाँ गया होगा, थोड़ी देर इंतजार नहीं कर सकता था (मुझे सोनू की चिंता हो रही थी लेकिन साथ ही उस पर गुस्सा भी आ रहा था)
नाले में इतना पानी आ गया था, कि निकलना मुश्किल था| तभी मेरे मोबाइल पर एक अनजाने नंबर से कॉल आया! मैंने रिसीव किया तो सामने से किसी लड़की की आवाज़ आई|
सोनू दुकान पर आ गया है, आप चिंता मत कीजिएगा (सामने से आवाज़ आई)
कौन सी दुकान पर और आप कौन बोल रहीं हैं! (मैंने पूछा)
चॉकलेट वाली आंटी (उसने इतना कहा और कॉल कट गया)
लैकिन, में लेने जाने ही वाला था! आज थोडा लेट हो गया तो अकेले निकलने की क्या ज़रूरत थी, उसे कुछ हो जाता तो….
(एक के बाद एक मेरे मन में कई सवाल चल रहे थे)
खैर, में दुसरे रास्ते से होता हुआ बस स्टैंड पहुंचा!
आज भी दुकान पर फलों वाले चाचा ही खड़े थे|
सोनू यहाँ है क्या चाचा…(आज में पहली बार चाचा से बोला था)
उन्होंने अन्दर देखते हुए आवाज़ लगाई….
नेहा …..सोनू के पापा आए हें, सोनू को भेजो!
मेरी आवाज़ सुनकर अन्दर से सोनू दौड़ता हुआ आया…
पता नहीं क्यों आज मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे में बरसों बाद सोनू से मिल रहा था|
अकेले आने की क्या ज़रूरत थी, में आ ही रहा था ना…
(मैंने सोनू को गोद में उठाते हुए बोला)
लीजिए आप भी सर पोंछ लीजिए, गिले बालों में सर्दी बड़ी जल्दी बैठती है!
मेने पीछे देखा…
घुंघराले बाल, जैसे बारिश के बादल..ज़मी पर उतर आए हो….
आँखे, जैसे कुछ कहना चाह रही हो…
होंठ, जैसे गुलाब की पंखुडियां हो…
पटियाला सूट में मेने पहली पर सोनू की चॉकलेट वाली आंटी को देखा|
हाथ में टावेल लिए उसने फिर कहा “सर पोंछ लीजिए में चाय बना देती हूँ”
मोनिका भी तो मुझे यही कहती थी, हर बारिश में मुझे उसके साथ भीगना अच्छा लगता था लेकिन वो सर्दी का बहाना कर के पहले तो टाल देती, लेकिन बाद में मुझे भीगता देख खुद भी आ जाती और कहती “आप कहें तो आंग में कूद जाए, यह तो सिर्फ बारिश है” और में मुस्कुरा कर कहता “जहाँ भी जाएँगे साथ जाएँगे”…लेकिन ज़िन्दगी के बिच सफ़र में ही वो मुझे अकेला छोड़ कर चली गई, अगर सोनू ना होता तो में भी कबसे उसके पास चला गया होता…
सोचते-सोचते मेरी आँखों में आंसू आ गए|
लो, हो गया ना जुकाम…देखो आँखों में पानी आ गया..
में मुस्कुराया, और मेरे साथ वो भी…
(मोनिका के जाने के बाद आज में पहली बार इस तरह मुस्कुराया था)
घर आने के बाद भी में नेहा के बारे में ही सोच रहा था!
तभी माँ कमरे में आई…
सोनू किसी नेहा आंटी के बारे में बात कर रहा था, ये नेहा कोन है ??
(माँ ने उत्सुकता से पूछा)
कोई नहीं है, माँ…अब आप सपने बुनना शुरू मत करो!
(कहकर मेने माँ की बात को टाल दिया)
ठीक है कोई बात नही, पर मेरे बारे में नहीं तो कम से कम सोनू के बारे में सोच!
(इतना कहकर माँ चली गई)
में रात भर सोनू और नेहा के बारे में सोचता रहा, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था! में बस यही सोच रहा था, कि क्या नेहा सोनू को एक माँ का प्यार दे पाएगी|
अगले दो-तिन दिनों तक नेहा मुझे हमेशा की तरह दिखाई नहीं दी| लेकिन एक दिन वो मुझे मेरे ही ऑफिस के पास एक कोचिंग के पास दिखी| मेने जाकर नेहा से बात की तो पता चला, कि वो इसी कोचिंग पर UPSC की तैयारी कर रही है|
धीरे-धीरे हमारी मुलाकातें बढ़ने लगी| बहुत जल्द हमारी दोस्ती हो गई और पता ही नहीं चला दोस्ती कब प्यार में बदल गई| हम दोनों को एक दुसरे से बाते करना, एक दुसरे के साथ वक्त गुज़ारना अच्छा लगता था| हम घंटों एक दुसरे के साथ सोनू और उसके साथ अपने भविष्य के सपने बुनते और वक्त के साथ हमने भी एक दुसरे से शादी करने का फैसला ले लिया|
नेहा के पिताजी नहीं चाहते थे, कि नेहा पहले से शादी शुदा किसी ऐसे इन्सान से शादी करे जिसके साथ उसके 5 साल के बेटे की ज़िम्मेदारी हो|
नेहा के पिताजी को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था|
मेने कल पापा से अपने बारे में बात की (आज मिलते ही नेहा ने कहा)
फिर क्या खा पापा ने (मेने डर और उत्सुकता से पूछा)
उन्हें यह रिश्ता मंजूर नही है, वो नहीं चाहते की में किसी ऐसे आदमी से शादी करूँ जिसके साथ उसके 5 साल के बेटे की ज़िम्मेदारी हो|
फिर तुमने क्या फैसला किया (मेने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा, जैसे कहना छह रहा हूँ की अब मुझे इस राह पर तुम भी मत छोड़ के चेले जाना)
एक बार में पापा के लिए तुम्हें भूल सकती हूँ, पर सोनू को नहीं! अब वो मुझमें अपनी माँ को ढूंढता है, में उसके इस विश्वास को तोडना नहीं चाहती|
माँ की आँखों में आंसू थे! इसलिए नहीं की उन्हें एक बहु मिल गई थी, बल्कि इस लिए की दीपू का हाथ थामे उसे नीतू में संगीता नज़र आ रही थी|
हमारा शहर अब स्मार्ट सिटी में बदल रहा था! बस स्टैंड को तोड़कर स्मार्ट बस स्टैंड बनाने की योजना चरम पर थी| नए बस स्टैंड की ज़द में चाचा की वो दुकान भी थी जहाँ कभी में बस का इंतज़ार किया करता था| बस स्टैंड पर हाथ ठेला और फलों की दुकान लगाने वाले सभी लोग कलेक्टर के इस फैसले पर नाखुश थे और कलेक्टर से इस बारे में बात करने के लिए चाचा की दुकान के सामने जमा थे|
कुछ नहीं होने वाला….(चाचा खुद ही अकेले अपनी दुकान में बडबडाए जा रहे थे)
ये नेता और अमीर लोग, गरीबों का सब कुछ छीन लेते हैं..उनकी बेटियां भी (कहकर चाचा की आँखे भर आई)
तभी एक लाल बत्ती की सफ़ेद गाड़ी से एक लड़की उतरी..
किसी को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, सरकार इसी जगह आपके लिए पक्की दुकाने बना कर देगी (कलेक्टर साहिबा ने गाड़ी से उतारते ही कहा)
ज़ोरदार तालियों के साथ सभी ने कलेक्टर साहिबा का अभिवादन किया!
तभी कलेक्टर साहिबा चाचा की दुकान की और बढी और चाचा के पैर छु कर बोली….
“पापा अब भी माफ़ नहीं करोगे…..”
लगभग दो साल पहले का वो दिन जब सोनू में और मोनिका ख़ुशी ख़ुशी मोनिका के घर से आ रहे थे, कि अचानक एक तेज़ रफ़्तार वाला ट्रक हमारे सामने आ गया| मुझे कुछ समझ आता तब तक हमारी कार पलट कर रोड की दूसरी साइड पर चली गई थी| दो दिन बाद जब मुझे हॉस्पिटल में होंश आया तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि क्या हुआ| मेने माँ से मोनिका और सोनू के बारे में पूछा | उन्होंने बताया की सोनू पास वाले वार्ड में है और अब ठीक है|
शादी से पहले पुरुषों जरूर करे ये 10 काम बाद में नहीं मिलेगा मौका! |
मेरे मोनिका के बारे में पूछने पर माँ फुट-फुट कर रोने लगी!
बताओ ना माँ, मोनिका कहाँ है (आंसुओं की बूंदों ने तब तक मेरी आँखों को भी घेर लिया था)
माँ तब कुछ भी नहीं बोल पाई!
मुझे मोनिका के साथ बिताए हर पल याद आ रहे थे,
अभी कल ही तो कह रही थी माँ ने नई सिल्क की साडी दी है…सालगिरह पर! और मेरे लिए कुछ नही दिया (मेने नाराजगी जताते हुए कहा था)
आपके लिए मुझे दिया हे न मेरे बुद्धू (मेरे गालों को खीचते हुए उसने बड़े प्यार से कहा था)
कितना बदनसीब हूँ में, आखरी बार मोनिका को देख भी नहीं पाया! (यह सोच कर में फुट-फुट कर रोने लगा था)
Hindi Love Story – Yaha Se Shuri Hui nayi Kahani
पापा चॉकलेट (सोनू की आवाज़ सुनकर मेरा ध्यान टुटा)आंटी ने कहा है, पापा को भी खिलाना..(सोनू ने कहा)
में बस मुस्कुरा दिया!
आज जब घर आया तो माँ फिर मुह फुला कर बेठी थी|
अपने लिए ना सही पर कम से कम सोनू के लिए तो शादी कर लो| (माँ ने कहा)
सोनू को सम्हालने के लिए आप सब हो ना माँ, फिर दूसरी शादी की क्या ज़रूरत| (कहकर, मेने हमेशा की तरह बात को टाल दिया)
सोनू के लिए माँ की ज़रूरत मुझे भी लगती थी पर में हमेशा यही सोचता की क्या कोई और सोनू को उतना प्यार दे पाएगा|
खैर, माँ की बाते सुनते-सुनते हमने खाना खाया|
Love Story – शुभम और साक्षी का अनोखा प्यार
अगले दिन सोनू को स्कूल छोड़ कर जब में ऑफिस आया तो बारिश शुरू हो चुकी थी| आज दिन भर बारिश हुई और शाम तक लगभग पुरे बाज़ार में पानी भर गया था| ऑफिस बंद हो गया था लेकिन बारिश बंद होने का इंतजार करते-करते एक घंटा होने को आया था| पास की एक दुकान से मेने रेन कोट ख़रीदा और सोनू को लेने स्कूल की तरफ निकला| लेकिन रास्ते में पड़ने वाले, नाले की वजह से आगे जाने का रास्ता बिलकुल बंद था| मेने सोनू के स्कूल में फोन किया तो पता चला सारे बच्चे स्कूल से जा चुके हैं और सोनू भी उन्ही के साथ स्कूल से निकल गया|
कहाँ गया होगा, थोड़ी देर इंतजार नहीं कर सकता था (मुझे सोनू की चिंता हो रही थी लेकिन साथ ही उस पर गुस्सा भी आ रहा था)
नाले में इतना पानी आ गया था, कि निकलना मुश्किल था| तभी मेरे मोबाइल पर एक अनजाने नंबर से कॉल आया! मैंने रिसीव किया तो सामने से किसी लड़की की आवाज़ आई|
सोनू दुकान पर आ गया है, आप चिंता मत कीजिएगा (सामने से आवाज़ आई)
कौन सी दुकान पर और आप कौन बोल रहीं हैं! (मैंने पूछा)
चॉकलेट वाली आंटी (उसने इतना कहा और कॉल कट गया)
लैकिन, में लेने जाने ही वाला था! आज थोडा लेट हो गया तो अकेले निकलने की क्या ज़रूरत थी, उसे कुछ हो जाता तो….
(एक के बाद एक मेरे मन में कई सवाल चल रहे थे)
खैर, में दुसरे रास्ते से होता हुआ बस स्टैंड पहुंचा!
आज भी दुकान पर फलों वाले चाचा ही खड़े थे|
सोनू यहाँ है क्या चाचा…(आज में पहली बार चाचा से बोला था)
उन्होंने अन्दर देखते हुए आवाज़ लगाई….
नेहा …..सोनू के पापा आए हें, सोनू को भेजो!
मेरी आवाज़ सुनकर अन्दर से सोनू दौड़ता हुआ आया…
पता नहीं क्यों आज मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे में बरसों बाद सोनू से मिल रहा था|
अकेले आने की क्या ज़रूरत थी, में आ ही रहा था ना…
(मैंने सोनू को गोद में उठाते हुए बोला)
Love Story – Meri First Meeting
तभी पीछे से आवाज़ आई….लीजिए आप भी सर पोंछ लीजिए, गिले बालों में सर्दी बड़ी जल्दी बैठती है!
मेने पीछे देखा…
घुंघराले बाल, जैसे बारिश के बादल..ज़मी पर उतर आए हो….
आँखे, जैसे कुछ कहना चाह रही हो…
होंठ, जैसे गुलाब की पंखुडियां हो…
पटियाला सूट में मेने पहली पर सोनू की चॉकलेट वाली आंटी को देखा|
हाथ में टावेल लिए उसने फिर कहा “सर पोंछ लीजिए में चाय बना देती हूँ”
मोनिका भी तो मुझे यही कहती थी, हर बारिश में मुझे उसके साथ भीगना अच्छा लगता था लेकिन वो सर्दी का बहाना कर के पहले तो टाल देती, लेकिन बाद में मुझे भीगता देख खुद भी आ जाती और कहती “आप कहें तो आंग में कूद जाए, यह तो सिर्फ बारिश है” और में मुस्कुरा कर कहता “जहाँ भी जाएँगे साथ जाएँगे”…लेकिन ज़िन्दगी के बिच सफ़र में ही वो मुझे अकेला छोड़ कर चली गई, अगर सोनू ना होता तो में भी कबसे उसके पास चला गया होता…
सोचते-सोचते मेरी आँखों में आंसू आ गए|
लो, हो गया ना जुकाम…देखो आँखों में पानी आ गया..
में मुस्कुराया, और मेरे साथ वो भी…
(मोनिका के जाने के बाद आज में पहली बार इस तरह मुस्कुराया था)
घर आने के बाद भी में नेहा के बारे में ही सोच रहा था!
तभी माँ कमरे में आई…
सोनू किसी नेहा आंटी के बारे में बात कर रहा था, ये नेहा कोन है ??
(माँ ने उत्सुकता से पूछा)
कोई नहीं है, माँ…अब आप सपने बुनना शुरू मत करो!
(कहकर मेने माँ की बात को टाल दिया)
ठीक है कोई बात नही, पर मेरे बारे में नहीं तो कम से कम सोनू के बारे में सोच!
(इतना कहकर माँ चली गई)
में रात भर सोनू और नेहा के बारे में सोचता रहा, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था! में बस यही सोच रहा था, कि क्या नेहा सोनू को एक माँ का प्यार दे पाएगी|
अगले दो-तिन दिनों तक नेहा मुझे हमेशा की तरह दिखाई नहीं दी| लेकिन एक दिन वो मुझे मेरे ही ऑफिस के पास एक कोचिंग के पास दिखी| मेने जाकर नेहा से बात की तो पता चला, कि वो इसी कोचिंग पर UPSC की तैयारी कर रही है|
धीरे-धीरे हमारी मुलाकातें बढ़ने लगी| बहुत जल्द हमारी दोस्ती हो गई और पता ही नहीं चला दोस्ती कब प्यार में बदल गई| हम दोनों को एक दुसरे से बाते करना, एक दुसरे के साथ वक्त गुज़ारना अच्छा लगता था| हम घंटों एक दुसरे के साथ सोनू और उसके साथ अपने भविष्य के सपने बुनते और वक्त के साथ हमने भी एक दुसरे से शादी करने का फैसला ले लिया|
Real Love Story – Neha Ne Pappa Se Pucha
नेहा अपने पिता की बहुत लाडली थी, वो नहीं चाहती थी की उसके पिताजी को उसकी वजह से कोई भी ठेस पहुंचे! लिहाज़ा एक दिन नेहा ने मेरे बारे में अपने पिताजी से बात करने का फैसला किया|नेहा के पिताजी नहीं चाहते थे, कि नेहा पहले से शादी शुदा किसी ऐसे इन्सान से शादी करे जिसके साथ उसके 5 साल के बेटे की ज़िम्मेदारी हो|
नेहा के पिताजी को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था|
मेने कल पापा से अपने बारे में बात की (आज मिलते ही नेहा ने कहा)
फिर क्या खा पापा ने (मेने डर और उत्सुकता से पूछा)
उन्हें यह रिश्ता मंजूर नही है, वो नहीं चाहते की में किसी ऐसे आदमी से शादी करूँ जिसके साथ उसके 5 साल के बेटे की ज़िम्मेदारी हो|
फिर तुमने क्या फैसला किया (मेने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा, जैसे कहना छह रहा हूँ की अब मुझे इस राह पर तुम भी मत छोड़ के चेले जाना)
एक बार में पापा के लिए तुम्हें भूल सकती हूँ, पर सोनू को नहीं! अब वो मुझमें अपनी माँ को ढूंढता है, में उसके इस विश्वास को तोडना नहीं चाहती|
माँ की आँखों में आंसू थे! इसलिए नहीं की उन्हें एक बहु मिल गई थी, बल्कि इस लिए की दीपू का हाथ थामे उसे नीतू में संगीता नज़र आ रही थी|
True Love – Never Ends – After Few Year
पांच साल बाद…हमारा शहर अब स्मार्ट सिटी में बदल रहा था! बस स्टैंड को तोड़कर स्मार्ट बस स्टैंड बनाने की योजना चरम पर थी| नए बस स्टैंड की ज़द में चाचा की वो दुकान भी थी जहाँ कभी में बस का इंतज़ार किया करता था| बस स्टैंड पर हाथ ठेला और फलों की दुकान लगाने वाले सभी लोग कलेक्टर के इस फैसले पर नाखुश थे और कलेक्टर से इस बारे में बात करने के लिए चाचा की दुकान के सामने जमा थे|
कुछ नहीं होने वाला….(चाचा खुद ही अकेले अपनी दुकान में बडबडाए जा रहे थे)
ये नेता और अमीर लोग, गरीबों का सब कुछ छीन लेते हैं..उनकी बेटियां भी (कहकर चाचा की आँखे भर आई)
तभी एक लाल बत्ती की सफ़ेद गाड़ी से एक लड़की उतरी..
किसी को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, सरकार इसी जगह आपके लिए पक्की दुकाने बना कर देगी (कलेक्टर साहिबा ने गाड़ी से उतारते ही कहा)
Love Story – Payal Aur Sumit Ki
ज़ोरदार तालियों के साथ सभी ने कलेक्टर साहिबा का अभिवादन किया!
तभी कलेक्टर साहिबा चाचा की दुकान की और बढी और चाचा के पैर छु कर बोली….
“पापा अब भी माफ़ नहीं करोगे…..”